मंदिर जहाँ शराब प्रसाद के रूप में बांटी जाती है | भारत के 7 रहस्यमयी मंदिर

भारतवर्ष में बहुत सारे मंदिर मौजूद हैं लेकिन इन मंदिरों में से कुछ ऐसे मंदिर हैं जहां पर तहखानों में लाखों टन खजाना दबा हुआ है या और कोई रहस्य छुपा हुआ है। इन मंदिरों का रहस्य अलग-अलग है, इन रहस्यों के पीछे की कहानियां बहुत ही रोचक हैं आज हम आपको ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में बताएंगें।

Top 7 Mysterious Temples in India

1. श्रीपद्मनाभस्वामी मंदिर

Padmanabhaswamy temple
Padmanabhaswamy temple

केरल के श्रीपद्मनाभम मंदिर के 7 तहखानों में लाखों टन सोना दबा हुआ था। उसके 6 तहखानों में से करीब 1 लाख करोड़ का खजाना तो निकाला जा चुका है, लेकिन 7वें तहखाने को खोलने पर वहां के राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर रोक लगा रखी है उनका मानना है की उस तहखाने को खोलने से वहां तबाही आ जाएगी। आखिर ऐसा क्या है उस तहखाने में कि उसे खोलने से वहां तबाही आने की आशंका बताई जाती रही है? ऐसा भी कहते हैं की उस तहखाने के दरवाजे को किसी विशेष मंत्र से बंद किया गया था और वह सिर्फ उसी मंत्र से ही खुलेगा इसके अलावा अगर उसे जबरदस्ती खोलने की कोशिश की गयी तो तबाही आ सकती है।

2. वृन्दावन मंदिर

vrindavan temple

वृंदावन में एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और अपने आप ही बंद हो जाता है। ऐसा कहते हैं कि निधिवन परिसर में स्थापित इस रंगमहल में भगवान श्री कृष्ण रात में शयन करते हैं। यहाँ इस रंगमहल में आज भी प्रसाद के तौर पर हर रोज़ माखन-मिश्री ही बांटा जाता है। उनके सोने के लिए वहां पर पलंग भी लगाया जाता है। सुबह जब आप इस बिस्तर को देखेंगें, तो इससे यह साफ पता चलता है कि रात में यहां जरूर कोई न कोई सोया हुआ था। इतना ही नहीं, यहाँ पर अंधेरा होते ही इस मंदिर के दरवाजे भी अपने आप बंद हो जाते हैं इसलिए मंदिर के पुजारी अंधेरा होने से पहले ही इस मंदिर में पलंग और प्रसाद की व्यवस्था कर देते हैं।

मान्यता के अनुसार, यहां रात के समय में कोई भी नहीं रह सकता है। इंसान तो छोड़िए, कोई पशु-पक्षी भी नहीं। ऐसा यहाँ पर रहने वाले लोग बरसों से ऐसा देखते आए हैं, लेकिन इस रहस्य के पीछे का सच धार्मिक मान्यताओं के सामने छुप-सा गया है। यहां पर रहें वाले लोगों का मानना है कि अगर कोई भी इंसान इस परिसर में रात में रुक जाता है तो वह तमाम सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर अपनी मृत्यु को प्राप्त करता है।

3. शनि शिंगणापुर

shani mandir

हमारे भारत देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के बहुत मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। इस विश्वप्रसिद्ध शनि मंदिर की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण की प्रतिमा बिना किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।

यहां शिगणापुर शहर में भगवान शनि महाराज का इतना खौफ है कि शहर के अधिकतर घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं हैं। दरवाजों की जगह यहाँ पर आपको सिर्फ पर्दे ही मिलेंगें। यहाँ पर ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। ऐसा कहा जाता है कि जो भी यहाँ पर चोरी करता है उसे शनि महाराज खुद सजा देते हैं। इसके कई प्रत्यक्ष उदाहरण भी देखे गए हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए यहां पर विश्वभर से हर शनिवार लाखों भगत जन आते हैं।

4. कामाख्या मंदिर

Kamakhya-Devi-Temple

यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। कामाख्या मंदिर को तांत्रिकों का गढ़ कहा जाता है। माता के 51 शक्तिपीठों में से यह एक पीठ है जिसको सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां त्रिपुरासुंदरी, मतांगी और कमला की प्रतिमा विशेष रूप से स्थापित हैं। दूसरी ओर 7 अन्य रूपों की प्रतिमायें अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की गई हैं, ये मंदिर इस मुख्य मंदिर को घेरे हुए हैं।

इस जगह की पौराणिक मान्यता यह है कि साल में एक बार अम्बूवाची पर्व के समय मां भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भगृह स्थित महामुद्रा (योनि-तीर्थ) से लगातार 3 दिनों तक जल-प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता रहता है। इस मंदिर से जुड़े चमत्कारों और रहस्यों के बारे में अनेक किताबें लिखी गयी हैं। हजारों ऐसे किस्से मौजूद हैं जिनसे इस मंदिर के चमत्कारिक और रहस्यमय होने का पता लगाया जा सकता है।

5. काल भैरव मंदिर

Kal Bhairav Ujjain
Mysterious Temples in India

उज्जैन में स्तिथ है यह काल भैरव मंदिर का अनोखा मंदिर। इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां पर इस मंदिर में प्रसाद के तौर पर शराब चढ़ाई जाती है और यहां प्रसाद के रूप में भी शराब ही बांटी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि काल भैरव नाथ इस शहर के रक्षक हैं। इस मंदिर के बाहर पुरे साल 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है।

6. ज्वाला मंदिर

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ज्वालादेवी का यह मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी।यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसके पीछे की धारणा है की यहां पर माता की जीभ गिरी थी। हजारों वर्षों से यहां पर स्थित देवी के मुख में से अग्नि निकल रही है।

इस जगह के आकर्षण का केंद्र यहाँ पर मौजूद ताम्बे का एक पाइप भी है जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह निरंतर होता रहता है। इस मंदिर में अग्नि की अलग-अलग 9 लपटें हैं, जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं। वैज्ञानिकों के कथन के अनुसार यह किसी मृत ज्वालामुखी की अग्नि भी हो सकती है।

हजारों साल पुराने इस मां ज्वालादेवी के मंदिर में जो ये 9 ज्वालाएं प्रज्वलित रहती हैं, वे 9 देवियों महालक्ष्मी, चंडी, महाकाली, अम्बिका, सरस्वती, हिंगलाज भवानी, अन्नपूर्णा, विन्ध्यवासिनी और अंजना देवी की ही स्वरूप हैं ऐसा माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि सतयुग में महाकाली के परम भक्त राजा भूमिचंद ने अपने स्वप्न से प्रेरित होकर इस भव्य मंदिर की स्थापना की थी। आज तक जो भी सच्चे मन से इस रहस्यमयी मंदिर में माता के दर्शन के लिए आया है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

7. करणी माता मंदिर

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यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है। इस मंदिर को चूहों वाली माता का मंदिर या मूषक मंदिर भी कहा जाता है। करनी माता इस मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं, जिनकी छत्रछाया में चूहों का यह साम्राज्य स्थापित है। इन चूहों में अधिकांश चूहे काले हैं, मगर कुछ सफेद भी हैं, जो की काफी दुर्लभ हैं। ऐसी मान्यता है कि जिसे भी सफेद चूहा दिख जाता है, तो उसकी मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती हैं।

इस मंदिर की सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यहाँ पर चूहे बिना किसी को कुछ नुकसान पहुंचाए मंदिर परिसर में दौड़ते, भागते और खेलते रहते हैं। ये चूहे इंसानों पर कूदफांद करते रहते हैं, मगर किसी को कुछ नुकसान नहीं पहुंचाते। इस मंदिर में ये इतनी संख्या में हैं कि यहाँ पर लोग अपने पांव उठाकर नहीं चल सकते, उन्हें अपने पांव घिसट-घिसटकर चलना पड़ता है। मगर ये चूहे मंदिर के बाहर कभी नजर नहीं आते हैं।


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