महाभारत के अश्वत्थामा याद हैं आपको। कहा जाता है कि अश्वत्थामा का वजूद आज भी है। दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने निकले अश्वत्थामा को उनकी एक चूक भारी पड़ी और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। ऐसा कहा जाता है कि पिछले लगभग 5 हजार वर्षों से अश्वत्थामा भटक रहे हैं।
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किमी दूर असीरगढ़ का किला है। कहा जाता है कि इस किले में स्थित शिव मंदिर में अश्वत्थामा आज भी पूजा करने आते हैं। स्थानीय निवासी अश्वत्थामा से जुड़ी कई कहानियां सुनाते हैं। वे बताते हैं कि अश्वत्थामा को जिसने भी देखा, उसकी मानसिक स्थिति हमेशा के लिए खराब हो गई। इसके अलावा कहा जाता है कि अश्वत्थामा पूजा से पहले किले में स्थित तालाब में नहाते भी हैं।
बुरहानपुर के अलावा मप्र के ही जबलपुर शहर के गौरीघाट (नर्मदा नदी) के किनारे भी अश्वत्थामा के भटकने का उल्लेख मिलता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, कभी-कभी वे अपने मस्तक के घाव से बहते खून को रोकने के लिए हल्दी और तेल की मांग भी करते हैं। इस संबंध में हालांकि स्पष्ट और प्रामाणिक आज तक कुछ भी नहीं मिला है।
महाभारत में द्रोण पुत्र अश्वत्थामा एक ऐसा योद्धा था, जो अकेले के ही दम पर संपूर्ण युद्ध लड़ने की क्षमता रखता था। कौरवों की सेना में एक से एक योद्धा थे। पांडवों की सेना हर लिहाज से कौरवों की सेना से कमजोर थी लेकिन फिर भी कौरव हार गए।
महाभारत युद्ध के बाद जीवित बचे 18 योद्धाओं में से एक अश्वत्थामा भी थे। अश्वत्थामा को संपूर्ण महाभारत के युद्ध में कोई हरा नहीं सका था। वे आज भी अपराजित और अमर हैं।
अश्वत्थामा का जन्म भारद्वाज ऋषि के पुत्र द्रोण के यहां हुआ था। उनकी माता ऋषि शरद्वान की पुत्री कृपी थीं। द्रोणाचार्य का गोत्र अंगिरा था। तपस्यारत द्रोण ने पितरों की आज्ञा से संतान प्राप्ति हेतु कृपी से विवाह किया। कृपी भी बड़ी ही धर्मज्ञ, सुशील और तपस्विनी थीं। दोनों ही संपन्न परिवार से थे।
अश्वत्थामा को दुनिया खत्म होने तक भटकने का शाप देने वाले भगवान श्री कृष्ण थे। यह शाप श्री कृष्ण ने इसलिए दिया क्योंकि अश्वत्थामा ने पाण्डव पुत्रों की हत्या उस समय की थी जब वह सो रहे थे। इसने ब्रह्माशास्त्र से उत्तरा के गर्भ को भी नष्ट कर दिया था। गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या से क्रोधित होकर श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को भयानक शाप दिया। अश्वत्थाम के इस घोर पाप का अनुचित लेकिन एक बड़ा कारण था।