सोन भंडार गुफाओं का हैरतअंगेज सच!

son bhandaar ki gufaao ka rahasya

सोन भंडार गुफाओं में सोना ही सोना है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि अब आप हथौड़ा-छैनी लेकर सोना ढूँढने के लिए निकल पड़ेंगे. वह काम सरकार पर छोड़ दीजिये. आप बस घर पर आराम से बैठिये और हमारी वेबसाइट पर लेख पढ़ते रहिये. और हाँ notification भी On कर लो भई वरना अगला सोने का भण्डार आपके हाथ से निकल सकता है. उसकी जानकारी हमारी वेबसाइट पर ही अपडेट होगी. So, stay in touch.

बिहार राज्य में स्थित एक छोटा-सा शहर राजगीर, जहाँ पर छिपा हुआ है मौर्य शासक बिम्बिसार का अमूल्य स्वर्ण भंडार। राजगीर शहर बिहार के नालंदा जिले में स्‍थित है, इस शहर को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शहर प्राचीन काल में मगध राज्य की राजधानी हुआ करता था और इसी शहर में भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था। इस शहर को भगवान बुद्ध से जुडी स्मारकों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध माना जाता रहा है।

इसी राजगीर शहर में मौजूद है यह सोन भंडार गुफा। इस गुफा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसमें एक बेशकीमती खजाना छिपा हुआ है जिसे आज तक कोई भी नहीं खोज सका है। जानने वालों का कहना है की यह खजाना मौर्य शासक बिम्बिसार का है, हालांकि कई लोग इस खजाने को पूर्व मगध सम्राट जरासंध का भी बताते हैं।

माना जाता है कि इस गुफा में अपार सोना छुपा हुआ है, लेकिन इस गुफा में जाने का रास्ता कहाँ से है? इस बारे में किसी के पास कोई जवाब नहीं है। ऐसा माना जाता है कि यह खजाना एक मजबूत कोठरी में रखा गया है जिसका रास्ता शायद आज तक किसी को भी नहीं पता।

गुफाओं की संरचना

son bhandar gufaayen

गुफा के गुंबद की भीतरी छत सीधे 1.5 मीटर ऊंची है, इस गुबंद का निर्माण चट्टानों को तराश कर किया गया है। यह गुबंद और गुफा मौर्यकालीन गर्भगृहों की तरह दिखाई पड़ती है इसलिए इसे मौर्य शासक से जोड़कर देखा जाता रहा है।

इस गुफा के अन्दर दो कक्ष बने हुए हैं। इन दोनों कक्षों को पत्थर की एक बड़ी चट्टान से बंद किया गया है. ऐसा माना जाता है कि पहले कक्ष में सुरक्षाकर्मियों का पहरा होता था बल्कि दूसरे कक्ष के बारे में यह मान्‍यता है कि इसमें सम्राट बिम्बिसार का खजाना मौजूद था। और यह खजाना आज भी इसी कक्ष में रखा हुआ है।

चिकनी और परिष्कृत

भारत में अनेकों गुफाएं हैं मगर ऐसी बहुत ही कम गुफाएं हैं जो चिकनी और जटिल हैं, सोन भंडार गुफा उन्हीं गुफाओं की श्रेणी में से एक हैं। सामान्य तौर पर जो गुफाएं होती हैं वे उनमें मौजूद पत्थरों की वजह से खुरदरी होती हैं लेकिन सोन भंडार गुफाओं का चिकना होना पूरी तरह से असामान्य और अजीब बात है। इनकी संरचना बहुत ही बारीकी से की गयी है.

योजना

जिस योजना के तहत सोन-भंडार की गुफाओं की संरचना की गयी है उससे इन गुफाओं का सम्बन्ध मौर्य शासनकाल से पाया जाता है। तो इसका मतलब यह होता है कि ये गुफाएं काफी प्राचीन हैं।

मूर्ति

इस गुफा के बाहर से गरुडासन में बैठे भगवान विष्णु की एक मूर्ति भी प्राप्त हुई है. जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मूर्ति को या तो यहां पर स्थापित किया गया था या फिर इसका स्थापन पूरा नहीं हुआ था। आज भी यह मूर्ति नालंदा के एक म्यूजियम में सुरक्षित मौजूद है।

शंख लिपि

गुफाओं के बाहर जो अभिलेख लिखे मिलते हैं उन्हें शंख लिपि कहा जाता है। जो अभिलेख सोन भण्डार गुफाओं में मिलते हैं उनके बारे में कहा जाता है की इन अभिलेखों को मौर्य शासक बिंबिसार ने इस गुफा के बाहर लिखवाया था और इसी में खजाने को हासिल करने के लिए उस तक पहुंचने का रहस्य भी छिपाया हुआ है। ऐसा माना जाता है कि ये शंख लिपियाँ इस गुफा को खोलने का तरीका बताती हैं मगर आज तक इन लिपियों में से ऐसा कुछ नहीं समझा या पाया गया है।

सोन भंडार गृह के पास कुछ उसी तरह की गुफाएं मौजूद हैं जिन्हें बराबर की गुफाएं कहा जाता है। इन गुफाओं में बने कमरों की संरचना भी सोन भंडार गुफा की संरचना की तरह ही बनाए गई है। पांचवी और छठी शताब्दी के अभिलेख इन गुफाओं के अंदर और बाहर पाए गए हैं। ऐसा भी हो सकता है कि ये अभिलेख वहां पर आए तीर्थयात्रियों द्वारा भी लिखे गए हों। हालाँकि इस बात को कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है.

जैन धर्म से जुडी धारणाएं

पुरातत्व वैज्ञानिकों का कहना है कि ये गुफाएं लगभग एक ही समय के आसपास बनाई गई हैं। यूं तो भारत के अन्य राज्य जैसे आंध्र प्रदेश में कई ऐसे मंदिर हैं जो गुफाओं के भीतर स्थित हैं और लोगों की श्रद्धा से जुड़े हुए हैं. ऐसे ही राजगीर, बिहार में स्थित यह गुफाएं भी जैन धर्मावलंबियों के लिए किसी पवित्र स्थल से कम नहीं हैं।

मुनि वैरादेवी

ये गुफाएं चट्टानों को काटकर उनके अंदर बनी हुई हैं, जो कि अपने आप में एक अद्भुत संरचना है। इनमें से एक पहाड़ी के अंदर से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार यह जानकारी मिलती है कि तीसरी व चौथी शताब्दी में महान जैन संत, मुनि वैरादेवी ने अन्य जैन योगियों के लिए इन गुफाओं का निर्माण किया था।

किंवदंतियों के अनुसार, गुफाओं की ये असाधारण बनावट ही इसमें मौजूद लाखों टन सोने के खजाने की सुरक्षा करती है। इन गुफाओं में छिपे हुए खजाने तक जाने का रास्ता एक बड़े प्राचीन पत्थर के पीछे से होकर जाता है। कई लोगों का मानना है कि खजाने तक पहुंचने का रास्ता वैभरगिरी पर्वत से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, और ये गुफाएं सोन भंडार गुफा के दूसरी तरफ तक पहुंचती हैं।

ऐसा माना जाता है जिस गुफा में सोना रखा जाता था उसे बिंबिसार एक बड़े पत्थर से ढकवा दिया करता था। और इस पत्थर को आज तक नहीं हटाया गया है।

तो क्या इसका मतलब यह है कि आज भी इन गुफाओं में एक बहुत बड़ा खजाना छिपा हुआ है?

इस सवाल का जवाब सही तरीके से नहीं दिया जा सकता। मगर खजाने की तलाश में अंग्रेजों ने इन गुफाओं को खोलने की कोशिश की थी।

अंग्रेजों का तोप से हमला

अंग्रेजों ने इन गुफाओं में छिपे खजाने को हासिल करने के लिए इस पर तोप से हमला भी किया था। तोप के गोलों के निशान तो आज भी इन गुफाओं पर मौजूद हैं मगर अंग्रेज भी इस पत्थर को हटाने में नाकामयाब रहे थे। वैसे भी अंग्रेजों में वो बात कहाँ ….


ऐसा कहा जाता है की अगर इस गुफा में छिपे हुए खजानों की तलाश की जाए तो इससे हमारे देश की आर्थिक स्थिति में न सिर्फ सुधार होगा, बल्कि भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के रूप में भी उभरकर सामने आ जाएगा। इसी तरह देश में ऐसे बहुत सारे मंदिर और गुफाएं हैं जिनमें सोना पाया गया है और इनमें और भी खजाना छिपे होने की संभावना हो सकती है।

Editorial Team

Editorial Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

a person stands on a mountain and a Hard Work Motivational Quotes in Hindi is written on it

Hard Work Motivational Quotes in Hindi

हमारे बड़े यह बात कह रहे हैं कि तुम्हारी सफलता का राज केवल तुम्हारे बड़ों के आशीर्वाद और उनके विश्वास