भगवान शिव क्यों हैं रहस्मयी?

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आज हम महादेव शिव से जुड़े ऐसे रहस्यों के विषय में बताएंगे जिनके बारे में आपने कभी नहीं सुना। महादेव जटाओं में गंगा को धारण किए हुए गले में सांप लपेटे हुए और देह पर बाघ अंबर धारण किए हुए सभी देवताओं से बिल्कुल भिन्न हैं। शिवजी ने अपने रूप के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास किया है।

तो आइए जानते हैं आखिर शिवजी के ऐसे क्या रहस्य हैं जो संपूर्ण मानव जाति को कुछ ना कुछ शिक्षा देते हैं

10 Amazing Facts about Lord Shiva in Hindi

1. शिवजी की जटाएं

महादेव शिव को अंतरिक्ष का देवता कहा गया है। आकाश शिवजी की जटा स्वरूप है, इसलिए उन्हें व्योमकेश भी कहा जाता है। उनकी जटाएं पवन या वायु प्रवाह का प्रतिनिधित्व करती हैं। यही वायु सभी प्राणियों में सांस के रूप में उपस्थित है अर्थात शिव सभी प्राणियों के प्रभु है।

2. शिव की जटाओं में पवित्र गंगा

सनातन धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र माना गया है। गंगा नदी शिवजी की जटाओं से बहती है। महादेव गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए उसे अपनी जटाओं में धारण करते हैं। शिव जी का गंगा को धारण करना यह दर्शाता है कि शिव ना केवल सँहार के प्रतीक है अपितु पृथ्वी लोक में मानव जाति को पवित्रता, ज्ञान और शांति का भी संदेश देते हैं।

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Amazing Facts about Lord Shiva in Hindi

3. मस्तक पर चंद्रमा

शिवजी के सिर पर विराजित अर्धचंद्र उनके मन को शांत रखते हैं. और विषपान के कारण मिले हुए शिवजी के शरीर को शीतलता प्रदान करने के लिए चंद्रमा उनके मस्तक पर सुशोभित हैं।

4. महादेव का तीसरा नेत्र

महादेव का तीसरा नेत्र उनके ललाट पर सुसज्जित है। ऐसा माना जाता है कि जब शिवजी बहुत क्रोधित होते हैं तब उनका तीसरा नेत्र खुल जाता है। यह तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना गया है। साथ ही यह संसार में अज्ञानता को समाप्त करने का भी प्रतीक है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो शिवजी का तीसरा नेत्र भौतिक दृष्टि से परे संसार की ओर देखने का संदेश देता है। महादेव का यह नेत्र बोध कराता है कि व्यक्ति जीवन को वास्तविक दृष्टि से देखें।

जीवन को केवल उस दृष्टि से नहीं देखना चाहिए जो जीवित रहने के लिए आवश्यक है। उस दृष्टि से देखना चाहिए जैसा यह वास्तव में है। शिव जी का यह नेत्र पांचों इंद्रियों से परे सत, रज और तम तीनों गुणों भूत, वर्तमान, भविष्य तीनों कालों और स्वर्ग, पृथ्वी एवं पाताल तीनो लोकों का प्रतीक है। इसलिए शिवजी को त्र्यंबक भी कहा जाता है।

तीसरा नेत्र खोलने का अर्थ है जीवन को अधिक गहराई से देखना. जीवन के उद्देश्य को समझना और जीवन को एक नई दृष्टि से देखना. संसार में प्रत्येक व्यक्ति को तीसरी आंख खोलने की अर्थात आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित करने की आवश्यकता है जिससे जीवन को सार्थक बनाया जा सके।

5. महाकाल के कंठ में सर्प

सर्प एक ऐसा जीव है जो पूर्णतया तमोगुण और संहारक प्रवृत्ति से भरपूर है। यदि सर्प किसी मनुष्य को काट ले तो मनुष्य का अंत हो जाता है। ऐसे भयानक जीव को शिवजी अपने कंठ में धारण किए हुए हैं। इसका अर्थ है कि महादेव ने तम अथवा अज्ञान या अंधकार को अपने नियंत्रण में किया हुआ है, और सर्प जैसा हिंसक जीव भी उनके अधीन है।

6. शिव का साथी नंदी

शिवजी का सबसे निकट का साथी नंदी ध्यान का प्रतीक है। जीवन के प्रति सजगता का प्रतीक है। और जीवन के वास्तविक लक्ष्य को पाने के प्रति सक्रियता का प्रतीक है। नंदी का वास्तविक स्वभाव है ध्यान में मग्न रहना। उसने किसी भी प्रकार की अपेक्षा या मोह की आसक्ति नहीं है। नंदी की प्रवृत्ति शांत है और वह संदेश देता है कि प्रत्येक मनुष्य को किसी भी प्रकार की आसक्ति को त्याग कर ध्यान में लीन रहना चाहिए और ईश्वर से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।

अन्य रोचक जानकारी

7. तन पर बाघांबर

हमने शिवजी के रूप में उन्हें बाघाम्बर धारण किए हुए देखा है। और इसका अर्थ यही निकालते हैं कि यह शिव जी की जीवन शैली का ही भाग है। परंतु इसका कारण हम में से बहुत से लोग नहीं जानते। वास्तव में बाघ को अहम और हिंसा से परिपूर्ण जीव माना गया है। और इसकी चर्म को शिव जी अपने शरीर पर धारण करते हैं जिसका अर्थ है कि महाकाल ने हिंसा और अहम को अपने नियंत्रण में किया हुआ है।

8. त्रिशूल

त्रिशूल जीवन के तीन मूलभूत आयामों का प्रतिनिधित्व करता है। बाएँ और दाएँ भाग अस्तित्व में मूल द्वंद्व का प्रतिनिधित्व करते हैं (किसी भी व्यक्ति के तार्किक और सहज पक्ष)।

मध्य भाग, या ‘सुषुम्ना’, केंद्रीय निष्क्रिय स्थान का प्रतिनिधित्व करता है। यह माना जाता है कि जीवन केवल तब शुरू होता है जब आप सुषुम्ना में ऊर्जा का संचार कर सकते हैं और एक नई आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं जो बाहरी स्थितियों से परेशान या प्रभावित नहीं हो सकती है।

9. हाथों में डमरू

उनके हाथों में डमरू ने, ओम ’की आध्यात्मिक ध्वनि पैदा की, जो सभी जीवित चीजों में मौजूद है और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का एक स्रोत है।

शिव अपनी तांडव, लौकिक नृत्य के दौरान अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रसारित करने के लिए डमरू का उपयोग करते हैं।

10. शरीर पर भस्म

शिवजी से जुड़ी प्रत्येक बात संपूर्ण मानव जाति के लिए एक ज्ञान या संदेश है जैसे उनके शरीर पर भस्म। इसका अर्थ है कि मनुष्य की देह का जब अंत हो जाता है तो अंत में केवल भस्म ही रह जाती है और शरीर इस संसार से अदृश्य हो जाता है। वेदों में भी यही बताया गया है कि रूद्र अग्नि का प्रतीक है और अग्नि का कार्य है सब कुछ भस्म करना।

तो दोस्तों, यह थे शिवजी के कुछ ऐसे रहस्य (Amazing Facts about Lord Shiva in Hindi) जो हमें वास्तव में अपने जीवन से रूबरू होने का एक अवसर देते हैं।

Editorial Team

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