मौत के देवता यमराज के लोक जाने का द्वार

yamdwar ka rahasya

भूत-प्रेतों की बातें हमें एक ऐसी रहस्‍यमयी दुनिया की तरफ लेकर जाती हैं, जिस दुनिया के रहस्य को कोई अंत नहीं है। यह एक ऐसी भयावह और रहस्यमयी दुनिया है जिसके बारे में सुनते ही किसी भी इंसान को डर लगने लगता है मगर फिर भी इंसान इस दुनिया के बारे में जितना हो सकते उतना जानना चाहता है।

भूतों को किसने देखा है? यह जान पाना और बता पाना बहुत ही कठिन होता है। मगर ऐसा माना जाता है की कुछ ऐसी नकारात्‍मक शक्तियां हमारी इसी दुनिया में हमारे आस-पास ही मौजूद रहती हैं, और ये शक्तियां हमें अलग-अलग माध्‍यमों से अपने मौजूद होने का एहसास करवाती रहती हैं। इन्‍हीं माध्‍यमों को सामान्‍य भाषा में भूत-प्रेत कहा जाता है।

वैसे तो हमारे देश में ऐसी बहुत सारी जगह हैं, जहां पर भूत-प्रेतों के होने का दावा किया जाता रहा है। लेकिन इस लेख में हम आपको एक ऐसे स्‍थान के बारे में बताएंगे जिसे यमद्वार या मौत का दरवाजा कहा जाता है। तो क्‍या आप इस बात पर यकीन करेंगे? शायद ऐसी किसी जगह के होने की बात सोचकर उस पर भरोसा कर पाना आपके लिए थोड़ा-सा मुश्किल होगा। मगर ऐसा स्‍थान इसी धरती पर मौजूद है।

तो आइये इसके बारे में प्रचलित कुछ कहानियों के बारे में जानते हैं।

कहाँ पर है यमद्वार?

तिब्बत में मौजूद है यह यमद्वार। प्राचीन काल में तिब्बत का नाम त्रिविष्टप था। तिब्बत पहले अखंड भारत का एक हिस्सा हुआ करता था। मगर अब तिब्बत पर चीन ने अपना कब्जा कर रखा है।

तिब्बत में दारचेन नामक जगह से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह रहस्यमयी यमद्वार। यह रहस्यमयी यमद्वार 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हमारे देश में हर साल होने वाली कैलाश-मानसरोवर यात्रा तिब्‍बत के इसी रहस्यमयी जगह से शुरू होती है।

यमद्वार पवित्र कैलाश पर्वत पर जाने के रास्ते में पड़ता है। पौराणिक कथाओं और वेदों में कैलाश पर्वत भगवान शिव के निवास स्‍थान के रूप में लिखित है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान कहा जाता है।

धार्मिक मान्यता

इस रहस्यमयी यमद्वार के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं जुडी हुई हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार, इस द्वार को मृत्यु के देवता यमराज के घर का प्रवेश द्वार माना जाता है। कुछ लोग तो ऐसा भी मानते हैं कि इस स्‍थान के चारों तरफ परिक्रमा किये बिना कैलाश-मानसरोवर यात्रा को पूर्ण नहीं माना जाता।

तिब्बती लोग इसे चोरटेन कांग नग्यी के नाम से जानते हैं, इसका मतलब होता है दो पैर वाला स्तूप। आपको बता दें की बौद्ध धर्म के धार्मिक स्‍थलों को स्‍तूप कहा जाता है।

तिब्‍बती मान्‍यता के अनुसार, यहां के लोग अपने शरीर के बाल लाकर यहां पर अर्पित करते हैं। तिब्‍बती लोग इस स्‍थान को धर्म-कर्म से जोड़कर देखते हैं। बौद्ध लामा इस जगह पर आकर प्रार्थना करते हैं। कई बार तो इस रहस्यमयी जगह पर कुछ बौद्ध भिक्षुओं को अपनी खुद की बलि चढ़ाते हुए देखा गया है।

कुछ ऐसी मान्यताएं और धारणाएं भी हैं, जिनमें ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान इस यमद्वार के चारों तरफ की परिक्रमा कर लेता है तो उसके लिए स्‍वर्ग और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि अगर कोई इंसान इस यमद्वार को पार करने में सफल हो जाता है तो भगवान चित्रगुप्‍त (कर्मों का लेखाजोखा रखने वाले देव) उस इंसान के सभी बुरे कर्मों को क्षमा कर देते हैं।

यमद्वार और मौत का रहस्य!

इस जगह का सबसे बड़ा रहस्य यह है की यहां पर रात में रुकने वाला कोई भी इंसान जीवित नहीं रह सकता। ऐसी बहुत सारी घटनाएं यहाँ पर घटित हो चुकी हैं, मगर इन घंटनाओं के पीछे के रहस्य या कारण का खुलासा आज तक कोई नहीं कर सका है। यहाँ तक की वैज्ञानिक भी इस जगह के रहस्‍य को सुलझा पाने में नाकामयाब रहे हैं। इस तरह की घटनाओं की वजह से भी इस रहस्यमयी जगह को मौत के देवता यमराज का साम्राज्‍य कहा जाता है।

यमद्वार का इतिहास

इसके साथ ही यह मंदिरनुमा द्वार कब और किसने बनवाया, इसका आज तक कोई भी प्रमाण नहीं मिल सका है। इस जगह पर बहुत सारे शोध हुए, मगर इन शोधों का कोई नतीजा निकल कर सामने नहीं आया।

तो ये था यमद्वार से जुड़ा अनसुलझा रहस्य जो आज तक नहीं सुलझा है। ऐसे ही और रोचक और रहस्यमयी जानकारी के लिए हमारे और लेख पढ़ें।

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